गोबर गैस व्यवसाय योजना (बायोगैस प्लांट)
राजस्थान कृषि और डेयरी विकास संस्थान – ग्रामीण ऊर्जा आत्मनिर्भरता मिशन
1. उद्देश्य (Objective)
- ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ, सस्ती और टिकाऊ ऊर्जा उपलब्ध कराना।
- गोबर व जैविक कचरे से बायोगैस उत्पादन कर ईंधन और बिजली की जरूरत पूरी करना।
- बची हुई स्लरी से उच्च गुणवत्ता की जैविक खाद का उत्पादन और बिक्री।
- ग्रामीण रोजगार सृजन और किसानों की अतिरिक्त आय सुनिश्चित करना।
2. लक्ष्य समूह (Target Group)
- किसान परिवार
- डेयरी व्यवसायी
- गौशालाएं
- ग्रामीण उद्यमी
- पंचायत/सामुदायिक समूह
3. योजना के मुख्य घटक (Components of the Scheme)
- कच्चा माल संग्रह – गोबर, रसोई का कचरा, खेत की अवशेष सामग्री।
- बायोगैस प्लांट की स्थापना – घरेलू, सामुदायिक या कमर्शियल स्तर पर।
- गैस उत्पादन और उपयोग – खाना पकाने, बिजली उत्पादन या CNG फ्यूल के लिए।
- खाद उत्पादन – अवशेष स्लरी को पैक करके जैविक खाद के रूप में बेचना।
- मार्केटिंग नेटवर्क – गैस और खाद की बिक्री के लिए स्थानीय बाजार या ठेके।
4. संभावित आय का मॉडल (Income Model)
प्लांट प्रकार | क्षमता | मासिक आय (अनुमानित) |
---|---|---|
घरेलू प्लांट | 2–6 m³ | ₹3,000–₹8,000 |
सामुदायिक प्लांट | 25–50 m³ | ₹20,000–₹60,000 |
कमर्शियल प्लांट | 100 m³+ | ₹1–₹5 लाख+ |
5. लाभ (Benefits)
- स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त ऊर्जा।
- लकड़ी, कोयला और एलपीजी पर निर्भरता कम।
- कृषि के लिए बेहतरीन जैविक खाद उपलब्ध।
- ग्रामीण स्तर पर रोजगार और आय के अवसर।
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी और पर्यावरण संरक्षण।
- सरकारी सब्सिडी और तकनीकी सहायता उपलब्ध।
6. सरकारी सहायता (Government Support)
- राष्ट्रीय बायोगैस विकास कार्यक्रम (NBDP) के तहत सब्सिडी।
- तकनीकी मार्गदर्शन और प्रशिक्षण।
- उपकरण व मशीनरी की खरीद में आर्थिक सहायता।
7. व्यवसाय शुरू करने के चरण (Steps to Start)
- स्थान चयन – पानी और गोबर की नियमित उपलब्धता वाला क्षेत्र।
- प्लांट का डिजाइन और निर्माण – लीक-प्रूफ और टिकाऊ।
- सब्सिडी आवेदन – संबंधित विभाग में फॉर्म भरना।
- उत्पादन और सप्लाई चैन बनाना – गैस और खाद के लिए।
- विस्तार योजना – अधिक प्लांट क्षमता और बाजार क्षेत्र बढ़ाना।