प्रस्तुतकर्ता: राजस्थान कृषि और डेयरी विकास संस्थान
वर्मी कम्पोस्ट इकाई हेतु सहायता योजना
जैविक खेती को बढ़ावा देकर आय बढ़ाने और मिट्टी की सेहत सुरक्षित रखने का प्रयास।
जैविक खेती
वित्तीय सहायता
पर्यावरण संरक्षण
🎯 योजना का उद्देश्य
- जैविक खेती को बढ़ावा देना
- किसानों की आय में वृद्धि करना
- रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करना
- पर्यावरण एवं मिट्टी की उर्वरता की रक्षा करना
✅ योजना के लाभ
- वित्तीय सहायता: वर्मीकम्पोस्ट इकाई स्थापित करने के लिए सरकारी अनुदान
- जैविक खाद का उत्पादन: खेतों के लिए शुद्ध, उच्च गुणवत्ता वाली खाद
- आय में वृद्धि: जैविक खाद की बिक्री से अतिरिक्त आमदनी
- पर्यावरण संरक्षण: मिट्टी और जल की गुणवत्ता सुरक्षित
💰 वित्तीय सहायता (Subsidy Details)
योजना / प्रावधान | विवरण |
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एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH) | कुल परियोजना लागत का 50% अनुदान, अधिकतम ₹30,000 प्रति लाभार्थी |
NABARD – विशेष प्रावधान | 30’ × 8’ × 2.5’ इकाई पर अधिकतम ₹50,000 तक सहायता |
नोट: वास्तविक अनुदान राशि राज्य/जिला दिशा-निर्देशों एवं पात्रता के अनुसार भिन्न हो सकती है।
👨🌾 योजना के लिए पात्रता
- व्यक्तिगत किसान
- स्वयं सहायता समूह (SHGs)
- संयुक्त देयता समूह (JLGs)
- बंटाईदार किसान
- सहकारी समितियाँ व कृषि संगठन
⚙ योजना का क्रियान्वयन
- योजना का संचालन कृषि विभाग द्वारा
- राजस्थान कृषि और डेयरी विकास संस्थान द्वारा:
- मुफ्त प्रशिक्षण
- तकनीकी सहयोग
- इकाई स्थापना हेतु मार्गदर्शन
दस्तावेज़, आवेदन प्रक्रिया और समय-सीमा हेतु अपने नज़दीकी कृषि कार्यालय/कृषि पर्यवेक्षक से संपर्क करें।
🌱 संस्थान का संकल्प
“हर किसान को जैविक खेती और वर्मी कम्पोस्ट से आत्मनिर्भर बनाना।”