स्थापना :-
राजस्थान कृषि एंड डेयरी विकास संस्थान — एक क्षेत्रीय सार्वजनिक संस्थान
प्रस्तावना
मानव सभ्यता के प्रारम्भ से ही कृषि के साथ-साथ पशुपालन और डेयरी गतिविधियाँ मानव जीवन का अभिन्न अंग रही हैं। इन गतिविधियों ने न केवल खाद्य उपलब्धि और पशुशक्ति प्रदान की है, बल्कि पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
कृषि और पशुपालन का महत्व
कृषि और पशुपालन न केवल भोजन और पौष्टिक पोषण उपलब्ध कराते हैं, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में विशेषकर भूमिहीन, छोटे व सीमांत किसानों और महिलाओं के बीच लाभकारी रोज़गार पैदा करने में भी सहायक हैं। भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां पौधों और जानवरों से भोजन, फाइबर, पशुचारा तथा अन्य उत्पाद प्राप्त होते हैं।
- कृषि और डेयरी मानव सभ्यता का अनिवार्य हिस्सा हैं और इनका इतिहास हजारों वर्षों पुराना है।
- कृषि और पशुपालन पारस्परिक पूरक प्रणाली हैं — एक दूसरे को सहारा देते हैं।
- 90% से अधिक ग्रामीण परिवारों के घरों में पशु पाले जाते हैं; छोटे व सीमांत किसानों की आय में डेयरी का योगदान लगभग 45-50% तक है।
वर्तमान चुनौतियाँ और अवसर
बढ़ती आबादी, बदलती जीवनशैली, तेज़ी से बढ़ता शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन राष्ट्रीय प्रजनन प्रणालियों में नई चुनौतियाँ उत्पन्न कर रहे हैं। इसलिए पशु क्षेत्र को और अधिक समावेशी, टिकाऊ तथा आधुनिक बनाने के लिए नीतिगत समर्थन व योजनाओं की आवश्यकता है।
संस्थान के बारे में
राजस्थान कृषि एंड डेयरी विकास संस्थान एक क्षेत्रीय सार्वजनिक संस्थान है। इसकी स्थापना "राजस्थान कृषि एंड डेयरी विकास संस्थान" के नाम से वर्ष 2025 में की गई थी। संस्थान का कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण भारत में फैला हुआ है।
संस्थान का पंजीकरण भारत सरकार के कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय, जयपुर कार्यालय (Registrar of Companies) के अन्तर्गत Companies Act, 1956 (अनुसूचित संशोधनों के साथ) की धारा 23(1) के अनुसार किया गया है। संस्था का पंजीकरण कार्यालय जयपुर में स्थित है।
निष्कर्ष
कृषि व पशुपालन न केवल आर्थिक स्रोत हैं, बल्कि सामाजिक-सांस्कृतिक ढांचे को भी सहारा देते हैं। राजस्थान कृषि एंड डेयरी विकास संस्थान का उद्देश्य इन क्षेत्रों में समावेशी, टिकाऊ और वैज्ञानिक विकास को बढ़ावा देना है, ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था सबल और आत्मनिर्भर बने।